तुम
जिऊँ तो एक मंजिल हो तुम मानूं तो एक इबादत हो तुम ढूंढूं तो मेरी एक आस हो तुम पाऊं तो एक हयात हो तुम बोलूं तो एक अंदाज हो तुम सुनूं तो एक आवाज हो तुम बस यूं कहूं तो, मेरी कायनात हो तुम!
यहां वहां न जाने कहां कहां हूँ मैं। अनायास हूँ लय में हूँ अयाचित हूँ आभासित हूँ। आयाम हूँ या फिर विराम हूँ...!