तुम मिल जाओ तो

तुम मिल जाओ तो सुबह साकार हो जाए रंग बदलते इस मौसम में पतझर से मधुमय बहार हो जाए तुम मिल जाओ तो दोपहरी जीवन का सार हो जाए तेरे गर्म सांसों की खुश्बू से मेरे होठों की सिहरन पिघल जाए तुम मिल जाओ तो शाम सुनहरी हो जाए प्रेम की धुन कमाल की है जल के रोशन मशाल हो जाए तुम मिल जाओ तो रात मेरी मरहम बन जाए नकाब पहने हैं ख्वाब जो उतर कर मुकम्मल हो जाए ~जीवन समीर ~

टिप्पणियाँ

Abhilasha ने कहा…
बहुत ही सुन्दर रचना 🙏

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गीत

सुधि आई

तुम क्यों अचानक