न जाने क्यों

हलचल सी हो रही है जिंदगी में न जाने क्यों, कोई चल पड़ा है सूनी राह में न जाने क्यों। देखना जज्बात कराहते थे जहां कांटों में -- उन्ही राहों में फूल बिछ गये हैं न जाने क्यों।।

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