गीत

पिया ओ पिया तेरे बिन लागे न जिया
हिया ओ हिया धड़के है मेरे पिया

मन में छाई है काली घटा
बरसने को रोके है कौन ये पिया
आ जा कि सांझ बेचैन पसरा
बाट मैं निहारूं कैसे कटे ये रतिया

पथराये नयन बावरे निढाल हुए
तुम न आये तुम्हारी याद आई पिया
पवन झकोरे भी खामोश खड़े
आया न कोई संदेश ये क्या किया

आस भी टूट गई प्यास भी रूठी
तड़पता है तेरे बिन मेरा जिया
हिचकियों का अंबार है फूटा
अबके सावन से देह भीग भीग गया

दिवस रैन सांझ सकारे
चिढ़ाय रहे चकोर सारे
मिलन की आस जगा जाओ पिया
विरहन को तुम गले लगा जाओ पिया..
~जीवन समीर 

टिप्पणियाँ

वाह जी !! क्या बात है...

कोशिश कर रही हूँ गुनगुनाने की ... :)
Neelam agarwal ने कहा…
वाह विरह गीत बहुत सुंदर लिखा है।
Jiwan Sameer ने कहा…
धन्यवाद नीलम जी
Jiwan Sameer ने कहा…
बीना जी आभार 🙏

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