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न जाने क्यों

हलचल सी हो रही है जिंदगी में न जाने क्यों, कोई चल पड़ा है सूनी राह में न जाने क्यों। देखना जज्बात कराहते थे जहां कांटों में -- उन्ही राहों में फूल बिछ गये हैं न जाने क्यों।।

पतंग की डोर सी

पतंग की डोर सी स्वप्नों की उड़ानें दे दो घड़ी भर के लिए बचपन के जमाने दे दो। इस जहां में मन नहीं लगता है अब कहीं मुझ पर एहसान करो दोस्त पुराने दे दो।। जिन लपटों में बेबस सन्नाटा पसरा हो उनको भर कर तुम मौत के पैमाने दे दो। जिस्म तक ही मोहब्बत सिमटी है इधर गम गलत करने के मुझे बहाने दे दो।। बहुत घुटन हे तेरी तासीर में अच्छा हो गर भावों की नरमी भरे मुझे मयखाने दे दो।। ~जीवन समीर ~

जिंदगी संवार दो

जिंदगी संवार दो कुछ पल उधार दो लुटे हुए गुलिस्तां को एक नयी बहार दो नफरत के दौर में हो सके तो प्यार दो खुश रंग के हो शौकीन रंग से भरा सिंगार दो कंटकों से भरे जीवन को दर्द से तुम उबार दो रूह से रूह मिलाकर जिस्म को तुम निखार दो फिजूल की खबरें नहीं सच्चाई भरा अखबार दो गंदगी भरे शहर को दिल से तुम बहार दो लगाकर आज पर ध्यान कल को तुम बिसार दो परत दर परत चढ़ गया द्वैष की चांदी को उतार दो बदनुमा आवरण को तुम खूबसूरत एक आकार दो मय की मदहोशी नहीं नेहभरा खुमार दो मौत आकर मांगती है जीने का नया आधार दो निगाहे शौक से घायल कायल हो अब निहार दो ~जीवन समीर ~

तुम मिल जाओ तो

तुम मिल जाओ तो सुबह साकार हो जाए रंग बदलते इस मौसम में पतझर से मधुमय बहार हो जाए तुम मिल जाओ तो दोपहरी जीवन का सार हो जाए तेरे गर्म सांसों की खुश्बू से मेरे होठों की सिहरन पिघल जाए तुम मिल जाओ तो शाम सुनहरी हो जाए प्रेम की धुन कमाल की है जल के रोशन मशाल हो जाए तुम मिल जाओ तो रात मेरी मरहम बन जाए नकाब पहने हैं ख्वाब जो उतर कर मुकम्मल हो जाए ~जीवन समीर ~

चलो चलें

तिमिर से निकल लें आलोक से निकल लें प्रतिबध्द सीमा से निकल लें विषमताओं के पार चलें निरंतरता के मुक्त गगन में चलो चलें..... तन की भूख प्यास रोज हम मिटाते हैं आज मन की जरूरतों को पूरा करने चलो चलें..... अपेक्षा है तन की मन में भी तरंगिणी है लहरों की सच्चाइयां हैं तडफ और बेकरारी है.... प्रेम है संवाहक उल्लास का मन से होता जो परिस्कृत ईर्ष्या के ढुलमुल रवैए से मन नहीं होता है परिवर्तित..... आज अमृत पी लें आज हलाहल पी लें सूक्ष्म में सुरंग कर लें जीवन मृत्यु से दूर आज तेरे हो लें चलो चलें उस पार चलें......! ~जीवन समीर ~