क्या लिखूं
विरह की वेदना लिखूं मिलन की संवेदना लिखूं लिप्सा की योजना लिखूं विद्युत की गर्जना लिखूं...! लरजती देह की वासना लिखूं परमेश्वर की उपासना लिखूं अपध्वंस की अभावना लिखूं अभद्र की अवहेलनालिखूं...! पायल की झंकार लिखूं तपन की टंकार लिखूं अहंकार की विरक्ति लिखूं उदिग्न मन की उक्ति लिखूं...! सांझ की लालिमा लिखूं निशा की कालिमा लिखूं गुलाब में पड़ी निहारिका लिखूं मनुहार करती अभिसारिका लिखूं...! आकांक्षाओं भरी वाटिका लिखूं अतर्घट में चुभती कंटिका लिखूं पिंजरे में बंद शुक सारिका लिखूं अनुपलब्ध आजीविका लिखूं...! निस्तब्ध हूं क्या लिखूं उद्वेग की भर्त्सना लिखूं स्वच्छंद गगन के पटल पर लभ्य की सर्जना लिखूं...! तुम ही कहो मैं क्या लिखूं अभिशप्त जीवन की पंखुरी में किसका नाम लिखूं वर्जना लिखूं कि सर्जना लिखूं...! ~जीवन समीर ~