बह गये आंसू

बह गये आंसू के साथ सब गिले शिकवे
हट गये गलतफहमियों के सब मलबे

आंखों की दश्त में हुई बरसात इस कदर
ढह गये ख्वाबों के सब महले दुमहले

ठहरी थी निगाहें उनको ऊंचाइयों में देखने की
चाटने लगे सब उनकी तबाही के तलवे

सूखे पत्तों सा दिल मेरा मसला गया हर बार
कहर ढा गये एक-एक कर उनके सब फतवे

बिगड़े मौसम सा रहा तेरा मिजाज जीवन
दिखा गये मुंतजिरी तेरे सब बेअदब जलवे
~जीवन समीर 

टिप्पणियाँ

Jiwan Sameer ने कहा…
धन्यवाद

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